एक वर्ष से कम अवधि (होल्डिंग पीरियड) में अगर आप इक्विटी शेयर या इक्विटी म्यूचुअल फंड बेचते/ रिडीम करते हैं तो इनकम शार्ट टर्म कैपिटल गेन मानी जाएगी और आपको 15 फीसदी (4 फीसदी सेस मिलाकर कुल 15.6 फीसदी) शार्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा. लेकिन अगर आप एक वर्ष के बाद बेचते हैं तो इनकम लांग टर्म कैपिटल गेन मानी जाएगी और आपको सालाना एक लाख रुपये से ज्यादा की इनकम पर 10 फीसदी (4 फीसदी सेस मिलाकर कुल 10.4 फीसदी) लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा. ध्यान रहे सालाना एक लाख से कम की इनकम पर टैक्स का प्रावधान नहीं है. ईएलएसएस और आर्बिट्रेज फंड भी इक्विटी फंड की कैटेगरी में आते हैं. अगर कोई बैलेंस्ड/ हाइब्रिड फंड भी कुल कॉर्पस का 65 फीसदी इक्विटी में निवेश करें तो टैक्स के हिसाब से इसे भी इक्विटी फंड ही माना जाता है.
होल्डिंग पीरियड म्यूचुअल फंड खरीदने के दिन से लेकर उसे बेचने के दिन पर निर्भर करता है. लेकिन सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान यानी एसआईपी के जरिए निवेश के मामले में हर एसआईपी के लिए होल्डिंग पीरियड अलग-अलग होता है. उदाहरण के लिए आपने किसी इक्विटी स्कीम के लिए एसआईपी जनवरी 2018 से दिसंबर 2018 तक चलाई. इस मामले में जनवरी 2018 में किए गए निवेश के लिए तो एक वर्ष की अवधि दिसंबर 2018 में पूरी होगी. लेकिन दिसंबर 2018 में किए गए निवेश यानी एसआईपी के लिए एक वर्ष की अवधि दिसंबर 2019 में पूरी होगी. यानी हर एसआईपी के लिए बारह महीने पूरे होना जरूरी है.