बिहार के गया में नक्सलियों ने शनिवार देर शाम एक बड़ी वारदात को अंजाम दिया। परिवार के 4 सदस्यों की घर में घुसकर हत्या कर दी। मृतकों में दो भाई और उनकी पत्नियां हैं। हत्या के बाद चारों के शवों को घर के बाहर फंदे पर लटका दिया और फिर घर को बम से उड़ा दिया। घटना शाम 7 बजे से लेकर रात 9 बजे के बीच की है।
करीब 7 बजे जंगल ड्रेस में पहुंचे करीब 20 हथियारबंद नक्सली दो घंटे के तक घटना को अंजाम देकर रातभर जंगल में ही रुके रहे। इस बात की गवाही मारे गए दो बेटे व बहू के पिता व चाचा ने दी। आश्चर्य की बात है कि पीड़ित परिवार के पास न तो कोई मोबाइल फोन है न ही क्षेत्र में नेटवर्क है। जिस स्थान पर घटना हुई है, वहां पर दो ही घर हैं। दोनों घर एक ही परिवार के हैं। मंगरु व सरयू सिंह भोक्ता दोनों सगे भाई हैं। इन दोनों परिवार के अलावा किसी और का घर घने जंगल में नहीं है।
मृतकों के चाचा मंगरु ने बताया कि हथियारबंद नक्सलियों ने दोनों घर को कब्जे में ले लिया। मंगरु, उसके परिवार व सरयू व उसकी बीबी को घर के एक कमरे में हाथ, पैर और मुंह बांध कर बंद कर दिया। इसके बाद सरयू के दो बेटे महेंद्र सिंह भोक्ता व सत्येंद्र सिंह भोक्ता व उनकी पत्नियों को कब्जे में लेकर घर के बाहर गोशाला के पास ले गए। वहां चारों की एक-एक कर हत्या कर दी। साथ ही बम से सरयू सिंह भोक्ता के घर को उड़ा दिया। करीब दो घंटे तक नक्सलियों ने घटना को अंजाम दिया। जाते वक्त बंद घर को खोल दिया। उनके जाने के बाद जब बाहर निकले तो बाहर का मंजर देख सभी लोग सहम गए। दो भतीजे और दो बहुओं का शव गोशाला में लटक रहा था। घर उजाड़ पड़ा था। रात भर किसी तरह से बिताया। रात के समय से ही किसी के आने का इंतजार कर रहे थे पर कोई नहीं आया। सुबह भी कोई नहीं आया। इसी बीच कुछ स्थानीय अखबार वाले आए। उन्हें आपबीती सुनाई।
स्थानीय लोगों का कहना है कि जब सरयू सिंह भोक्ता के घर को बम से उड़ाया तब बहुत आवाज हुई थी। CRPF हो या फिर डुमरिया पुलिस सभी तक जरूर आवाज गई होगी। आसपास के गांवों में भी जानकारी मिल गई थी कि इलाके में कहीं न कहीं कोई बड़ी वारदात हुई है। लेकिन, पुलिस हो या CRPF किसी की ओर से कोई पहल नहीं की गई। सूत्रों का कहना है कि मोनावार के घने जंगल में रात तो दूर दिन में भी लोग जाने से घबराते हैं। यह डर किसी जंगली जानवर का नहीं, बल्कि नक्सली और उनके द्वारा बिछाए जाने वाले बम से बना रहता है।
मारे गए सभी लोग भोक्ता जाति के हैं। नक्सल प्रभावित इलाके के जंगल में भोक्ता जाति के लोग रहते हैं। इस जाति के लोग टुकड़े में जंगल के विभिन्न स्थानों पर रहते हैं। एक जगह वह समूह में नहीं रहते हैं। इनका मुख्य पेशा लकड़ी चुनना, महुआ और बीड़ी पत्ता चुनना है। इसके अलावा सूप व पत्तल का कारोबार करना है। इस समाज के लोग कुख्यात नक्सली भी रहे हैं। कई मारे भी गए हैं। कई अब भी सक्रिय हैं।