सामान्य प्रशासन विभाग ने बिहार में जनप्रतिनिधियों को सम्मान देने लिए रिमाइंडर भेजा है। नीतीश सरकार ने सभी विभागों के प्रधान सचिव, डीजीपी, कमिश्नर और डीएम को पत्र लिखा है। पत्र में सांसदों और विधायकों के पत्र का संज्ञान लेने और उस पर कार्रवाई करने के साथ-साथ सम्मान प्रदर्शित करने का निर्देश दिया गया है। ऐसा नहीं करने वाले अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव चंचल कुमार के लिखे पत्र में जो निर्देश जारी किए हैं उसके मुताबिक,
- अफसरों को सांसद-विधायकों को मुलाकात के बाद बाहर छोड़कर भी आना होगा।
- सांसद-विधायक मिलने आएं तो उठकर स्वागत करने को कहा गया है।
- कोई सांसद या विधायक उनसे मिलने के लिए आते हैं, तो उन्हें प्राथमिकता देनी है।
- बिना समय लिए मिलने आए संसद सदस्य या विधायक को किसी कारण से अगर तुरंत मिलना संभव ना हो तो विनम्रता पूर्वक स्थिति से अवगत कराना है।
- समय मिलते ही जितनी जल्दी हो, उनसे मुलाकात करना है।
सामान्य प्रशासन विभाग ने कहा है कि सांसदों के लिए ‘वारंट ऑफ़ प्रेसिडेंट’ में स्पष्ट रूप से व्यक्त किया गया है। उन्हें ‘सचिव’ से ऊपर रखा गया है। ऐसे में राज्य में आयोजित राजकीय समारोह या बैठकों में संसद सदस्य अगर आमंत्रित किए जाते हैं, तो उनके बैठने का स्थान राज्यपाल और मुख्य न्यायाधीश के तुरंत बाद होना चाहिए।
विभाग ने कहा है कि इससे जुड़ा पत्र पहले भी कई बार जारी किया गया है। सबसे पहले जून 2012 में इसे लेकर पत्र जारी हुआ था। इसके बाद 28 दिसंबर 2017, फिर 25 जनवरी 2018 और 19 फरवरी 2021 को इससे जुड़ा दिशा-निर्देश सरकार ने जारी किया था। इसके बाद इसी साल 6 अगस्त और 25 अगस्त को भी इसे लेकर निर्देश जारी किया गया था। बावजूद इसके अब भी ऐसी शिकायतें मिली हैं कि जनप्रतिनिधियों द्वारा भेजे जा रहे पत्रों का उचित जवाब नहीं दिया जा रहा है।