नई दिल्ली : नरेंद्र मोदी सरकार के (Char Dham project) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की हरी झंडी मिल गई है. सुप्रीम कोर्ट ऑल वेदर राजमार्ग परियोजना में सड़क की चौड़ाई बढ़ाने की इजाजत दे दी है और इसके साथ ही डबल लेन हाइवे बनाने का रास्ता साफ हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत न्यायिक समीक्षा में सेना के सुरक्षा संसाधनों को तय नहीं कर सकती. हाइवे के लिए सड़क की चौड़ाई बढ़ाने में रक्षा मंत्रालय की कोई दुर्भावना नहीं है.सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाल के दिनों में सीमाओं पर सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौतियां सामने आई हैं. यह अदालत सशस्त्र बलों की ढांचागत जरूरतों का दूसरा अनुमान नहीं लगा सकती है.पर्यावरण के हित में सभी उपचारात्मक उपाय सुनिश्चित करने के लिए पूर्व सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस एके सीकरी के नेतृत्व में एक निरीक्षण समिति भी गठित की गई है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘सामरिक महत्व के राजमार्गों के साथ अन्य पहाड़ी इलाकों के समान व्यवहार नहीं किया जा सकता है. वे राष्ट्र की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं. पर्यावरणीय मुद्दों के रखरखाव के लिए निरंतर निगरानी की भी आवश्यकता है. सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व न्यायाधीश जस्टिस ए के सीकरी की अध्यक्षता में एक निरीक्षण समिति का गठन किया है. इसमें राष्ट्रीय पर्यावरण अनुसंधान संस्थान और पर्यावरण मंत्रालय के प्रतिनिधि भी होंगे.समिति का उद्देश्य नई सिफारिशों के साथ आना नहीं है बल्कि उच्चाधिकार प्राप्त समिति की मौजूदा सिफारिशों का कार्यान्वयन सुनिश्चित करना है.समिति हर 4 महीने में परियोजना की प्रगति पर सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट करेगी. अब सड़क की चौड़ाई 10 मीटर करने की इजाजत दे दी गई है
SC ने कहा, ‘अदालत यहां सरकार की नीतिगत पसंद पर सवाल नहीं उठा सकती है और इसकी अनुमति नहीं है.राजमार्ग जो सशस्त्र बलों के लिए रणनीतिक सड़कें हैं, उनकी तुलना ऐसी अन्य पहाड़ी सड़कों से नहीं की जा सकती है.हमने पाया कि रक्षा मंत्रालय द्वारा दायर एमए में कोई दुर्भावना नहीं है.MoD सशस्त्र बलों की परिचालन आवश्यकता को डिजाइन करने के लिए अधिकृत है.सुरक्षा समिति की बैठक में उठाई गई सुरक्षा चिंताओं से रक्षा मंत्रालय की प्रामाणिकता स्पष्ट है.सशस्त्र बलों को मीडिया को दिए गए बयान के लिए पत्थर में लिखे गए बयान के रूप में नहीं लिया जा सकता है.न्यायिक समीक्षा के अभ्यास में यह अदालत सेना की आवश्यकताओं का दूसरा अनुमान नहीं लगा सकती है.
गौरतलब है कि 11 नवंबर को चारधाम परियोजना में सड़क की चौड़ाई बढ़ाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने विस्तार से सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा था. केंद्र और याचिकाकर्ता की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित था. सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों से दो दिनों में लिखित सुझाव देने को कहा था.सुप्रीम कोर्ट को तय करना था कि करीब 900 किलोमीटर की चार धाम ऑल वेदर राजमार्ग परियोजना में सड़क की चौड़ाई बढ़ाई जा सकती है या नहीं.केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से सितंबर 2020 के आदेश में संशोधन की मांग की है जिसमें चारधाम सड़कों की चौड़ाई को 5.5 मीटर तक सीमित करने का आदेश दिया था. केंद्र का कहना है कि ये भारत-चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा की ओर जाने वाली सीमा सड़कों के लिए फीडर सड़कें हैं,उन्हें 10 मीटर तक चौड़ा करने की अनुमति दी जानी चाहिए.याचिकाकर्ता की ओर से कॉलिन गोंजाल्विस ने कहा, हिमालय के पर्यावरण की स्थिति खतरे में है.अभी तक आधी परियोजना पूरी हुई है हादसा दुनिया ने देखा है, अब आपको पूरा करना है तो जरूर करें लेकिन बर्बादी के लिए तैयार रहें.नुकसान कम करने के उपाय करने की बजाय उसे बढ़ाया जा रहा है.सड़कों को चौड़ा करने के उपाय तकनीकी और पर्यावरण उपायों के साथ होने चाहिए.डिजाइन, ढलान, हरियाली, जंगल कटान, विस्फोट से पहाड़ काटने आदि को ध्यान में रखते हुए संबद्ध विशेषज्ञों की राय से करना चाहिए.