झारखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू हो गया है. 22 दिसंबर तक चलने वाले शीतकालीन सत्र में सरकार के सामने दोहरी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. एक ओर जहां जेपीएससी नियुक्ति नियमावली जैसे मुद्दों पर विपक्ष के हम लोग को झेलना पड़ रहा है वहीं दूसरी ओर यूपीए गठबंधन में भी All is Well नहीं है.
इसकी बानगी गुरुवार को मुख्यमंत्री आवास में होने वाली यूपीए की बैठक में दिखी. जिसमें कांग्रेस के विधायक शामिल नहीं हुए. सत्र के पहले और सत्र के दौरान सत्ताधारी दल और विपक्षी दल अलग-अलग बैठक कर रणनीति बनाते हैं. उसी कड़ी में गुरुवार की शाम सत्ताधारी गठबंधन यूपीए की बैठक मुख्यमंत्री आवास ने बुलाई गई थी. इस बैठक पर जेएमएम और आरजेडी के विधायक मंत्री तो शामिल हुए पर कांग्रेस के विधायक मंत्री नहीं पहुंचे. हालांकि कांग्रेस के विधायक और मंत्रियों के भी इस बैठक में आना था लेकिन अंतिम समय में कांग्रेस कोटे के मंत्री और विधायक विधायक दल के नेता आलमगीर आलम के आवास पर ही बैठक करते रहे।
बैठक में कांग्रेस के मंत्री विधायकों के नहीं आने को लेकर जहां जेएमएम के वरिष्ठ नेता और सरकार में मंत्री नलिन सोरेन और मिथिलेश ठाकुर ने सामान्य सी बात करार दी और कहा कि इसके पीछे कोई बड़ा कारण नहीं है. समय नहीं मिलने की वजह से वह लोग नहीं आ पाए वहीं कांग्रेस के लोग इस मुद्दे पर कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं.
सूत्रों की मानें तो सरकार के कामकाज को लेकर विशेषकर जेपीएससी मसले 27% आरक्षण नियोजन नीति में भाषाई फेरबदल और बोर्ड निगमों के गठन नहीं होने को जैसे मुद्दे को लेकर कांग्रेस के विधायक नेता संतुष्ट नहीं हैं. वहीं अधिकारियों के रवैये को लेकर कांग्रेस के नेता कार्यकर्ता प्रदेश अध्यक्ष को लगातार शिकायत करते रहे हैं. यही सब मुद्दे ऐसे हैं जिनको लेकर कांग्रेस कोटे के विधायक मंत्री सरकार से नाराज चल रहे हैं.