वन उत्पादकता संस्थान रांची में दिनांक 13.12.2021 को कोविड -19 के नियमों का अनुपालन करते हुए भौतिक एवं आभासीय मंच द्वारा बिहार सरकार के मुख्य वन सचिव श्री दीपक सिह, भा.प्र.से. की अध्यक्षता में पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, बिहार सरकार के साथ अनुसंधान सहयोग पर बैठक का आयोजन किया गया जिसमे बिहार सरकार के सहायक मुख्य वन संरक्षक श्री राकेश कुमार, भा.व.से. एवं अन्य वरिष्ठ वन अधिकारी, झारखंड वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी संस्थान के वैज्ञानिक एवं तकनीक अधिकारी, उद्द्यमी एवं अन्य शोध विशेषज्ञो ने भाग लिया।
श्री दीपक सिह, श्री राकेश कुमार, डा. नितिन कुलकर्णी एवं वरिष्ठ अधिकारी के द्वारा दीप प्रज्वलन के बाद संस्थान के निदेशक डा. नितिन कुलकर्णी ने योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए विभिन्न प्रक्रिया को बताते हुये बिहार सरकार के साथ आज के इस बैठक को काफी मह्त्वपूर्ण बताया। संस्थान के समुह समनव्यक (अनुसंधान), डा. योगेश्वर मिश्रा ने संस्थान के द्वारा चल रहे परियोजनाओं एवं संस्थान की उपलब्धियों के बारे मे विस्तार से बताया।
सचिव श्री दीपक सिह के निर्देश पर वन अधिकारियों द्वारा बिहार के लाइम स्टोन खनन क्षेत्र की पारिस्थितिकी बहाली, रानीगंज के सैंड वेस्ट लैंड अररिया मे मिलिया दुबिया, अल्तमस विलोसा कैजुरिना तथा संस्थान के द्वारा विकसित पोपलर के विकसित क्लोन के पौध रोपण पर सहमति बनी।
वन सचिव ने बिहार के वनवर्धन में संस्थान की सह भागिता की अपेक्षा की एवं बिहार वन प्रशासन से पूरे सहयोग का आश्वासन दिया। सहायक प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने पूर्व से चल रहे संस्थान के कार्यक्षेत्र के विकास को गति देने की बात कही। वन अधिकारियों ने आपसी विचार विमर्श के बाद बिहार के बांका जिले में बांस लगाने, पानी जमाव वाले क्षेत्र में मिलीया दुविया, बांस एव सैलिक्स पौध रोपण का प्रस्ताव रखा। अधिकारिओ के आम सहमति से बिहार के किसंनगंज के बालुआहि भूमि, पुर्णिया जिले के हाँसी, बांका जिले के सुपहा एवं सुइआ,वेतिया जिले के उदयपुर,मोतिहारी जिले के पिपरकोठी तथा भागलपूर, गया एव जहानाबाद आदि जगहों पर जमीन उपलब्ध कराने का आश्वासन प्राप्त हुआ। सचिव महोदय ने इस तरह की वैठके जारी रखने की इच्छा जाहिर की।
कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापित श्रीमती रुवी सुसाना कुजुर ने किया तथा कार्यक्रम को सफल वनाने में संस्थान के वैज्ञनिक श्री संजीव कुमार श्री एस.एन.वैद्य, डॉ एस.एन.मिश्रा, श्री निसार आलम, श्री वी.डी.पंडित, श्री सुशीत वनर्जी, श्री बसंत कुमार आदि ने अपना योगदान दिया।