पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार सरकार द्वारा पटना स्थित संजय गांधी जैविक उद्यान से “घोड़परास नियंत्रण -सह- पुनर्स्थापन अभियान” की शुरुआत विभागीय मंत्री, श्री नीरज कुमार सिंह द्वारा हरी झंडी दिखाकर किया गया। उक्त अवसर पर विभाग के श्री आशुतोष, PCCF (HoFF), श्री सुधीर कुमार, चीफ कंजरवेटर -सह- अपर सचिव, श्री प्रभात कुमार गुप्ता, मुख्य वन्य प्राणी प्रतिपालक, पटना जू के निदेशक, श्री सत्यजीत कुमार, पटना प्रमंडल के डीएफओ श्रीमति रुचि सिंह सहित विभाग के अन्य वरीय अधिकारी मौजूद रहे।
सर्वविदित है जंगली पशुओं द्वारा राज्य के कई जिलों में किसानों के फसलों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। किसानों द्वारा वन विभाग को लगातार इससे अवगत कराया गया है। जिसमें नीलगाय, घोड़परास व सुअरों द्वारा फसल को क्षति पहुंचाने की शिकायत की जाती रही है। किसानों की शिकायत पर वन संरक्षक द्वारा राज्य सरकार द्वारा प्रदत्त शक्ति का उपयोग करते हुए नीलगाय का नसबंदी करने का आदेश दिया गया है। इसके लिए राज्य में ही विशेष व्यस्था के तहत इनकी नसबंदी की व्यवस्था विशेषज्ञ के देख रेख में की जाएगी।
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के मंत्री, श्री नीरज कुमार सिंह ने कहा है कि घोड़परास की बढ़ती संख्या पर अंकुश लगाने हेतु नसबंदी किये जाने की प्रक्रिया अपनाई जा रही है। आप अवगत होगें कि राज्य के विभिन्न जिले एवं प्रखंडों के गैर वन इलाकों में किसानों के खेती वाले फसलों की घोड़परासों द्वारा व्यापक क्षति एवं पौधों को बर्बाद किया जा रहा है। घोड़परासों की बड़ी संख्या में होने के कारण कृषि फसलों को क्षति पहुंचाने एवं अन्य उपायों से नियंत्रित नहीं होने के कारण जंगली पशुओं को नसबंदी करने का निर्णय लिया गया है। इस संबंध में विभाग पूरी तरह तैयार है घोड़परास के कारण राज्य के कई जिलों की खेती बुरी तरह से प्रभावित हो रही है। लेकिन जिस रफ्तार से इसकी संख्या बढ़ रही है, वैसे स्थिति में अगर हम इनके ठोस उपाय नहीं की गयी तो किसानों को इसका भारी खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
आज बिहटा एयरफोर्स स्टेशन, के क्षेत्राधीन पकडे गए कुल 6 घोड़परासों ( 02 वयस्क नर, 02 वयस्क मादा और दो बच्चे जिनमें एक नर और एक मादा) को नसबंदी के लिए वाल्मीकि टाइगर रिजर्व भेजा जा रहा है, जिसके बाद जंगलों में इन्हें छोड़ दिया जाएगा, जिससे ये किसानों के खेतों तक ना पहुंच सके और क्षति को कम किया जा सके।