राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद श्री सुशील कुमार मोदी ने आज एक बयान में कहा कि 11 दिसम्बर को कृष्णमूर्ति के मामले में संविधान पीठ के 2010 के फैसले का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों के राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया है कि शहरी निकायों में तब तक पिछड़े वर्गों का आरक्षण लागू नहीं किया जा सकता जब तक कि राज्य सरकार द्वारा इस कार्य हेतु गठित राज्य आयोग ‘ट्रिपल परीक्षण’ के आधार पर पिछड़े वर्गों के आरक्षण की अनुशंसा नहीं करता है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस आधार पर हाल में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश एवं उड़ीसा के चुनावों पर रोक लगा दिया क्योंकि इन राज्यों ने ‘ट्रिपल परीक्षण’ के आधार पर पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं किया था।
ज्ञातव्य है कि बिहार में 2022 के प्रारम्भ में शहरी निकायों का चुनाव संभावित है । उसके पूर्व राज्य सरकार ने राज्य आयोग गठित कर ‘ट्रिपल परीक्षण’ के आधार पर पिछड़ों की सूची तैयार नहीं की तो शहरी निकाय में 20% का आरक्षण दिया जाना संभव नहीं होगा।
श्री मोदी ने कहा कि बिहार सरकार को तत्काल सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर इस निर्णय पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है।