एक ओर झारखंड की स्थानीय सरकार अपने आप को गरीब आदिवासियों का सबसे बड़ा संरक्षक बनने का दावा करती है और गरीब शोषित लोगों के हक की लड़ाई लड़कर सरकार को मजबूती से चलाने का दावा करती है। दूसरी ओर कुछ ऐसे मामले भी आंखों के सामने आने लगे हैं जो तमाम दावों का पोल खोलता नजर आता है।
ताजा मामला सरायकेला जिले के जोस्ट कंपनी का है जहां बीते 10 बरस से लगातार कुछ ग्रामीण आदिवासी महिलाएं रोजमर्रा की साफ सफाई का काम करती थी और अपने इस काम से उन्हें जो भी वेतन मिलता था उससे अपने और अपने परिवार का पेट पालती थी लेकिन कोरोना आते ही कंपनी ने तमाम महिलाओं को महामारी से बचने के लिए कंपनी नहीं आने की हिदायतें दी और कंपनी के वापस खुलने पर फिर से अपने काम में लगने का वादा भी किया था। लेकिन यह मामला कुछ और ही हुआ कंपनी अपने बाकी के मजदूरों और कर्मचारियों के लिए तो खुली लेकिन इन महिलाओं को दरवाजे से ही वापस भगा दिया गया।
अब पूरे मामले को लेकर यह महिलाएं दुर्गा सोरेन सेना के पास आई है जहां दुर्गा सोरेन सेना के जिला अध्यक्ष ने पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए करीब 2 घंटे तक वार्ता की जिसके बाद तमाम पीड़ित महिलाओं को कंबल भी बांटे वही पत्रकारों को जानकारी देते हुए जिला अध्यक्ष ओमकार सिंह उर्फ सनी सिंह ने बताया कि पूरे मामले को लेकर वे उस कंपनी में जाकर बातें करेंगे और इन पीड़ित महिलाओं की आवाज बनेंगे।