महात्मा गांधी के पसंदीदा भजन की धुन ‘अबाइड विद मी’ इस बार बीटिंग रिट्रीट में सुनाई नहीं देगी। बीटिंग रिट्रीट के लिए 26 धुनों की लिस्ट बनाई गई है, जिसमें ‘अबाइड विद मी’ शामिल नहीं है। इसे महात्मा गांधी की पुण्यतिथि से एक दिन पहले 29 जनवरी को होने वाले बीटिंग रिट्रीट समारोह के आखिर में बजाया जाता था।
1950 से लगातार इस धुन को बीटिंग रिट्रीट में बजाया जाता रहा है, लेकिन 2020 में पहली बार इसे समारोह से हटा दिया गया। इस पर काफी विवाद होने के बाद साल 2021 में इसे फिर से समारोह में शामिल कर लिया गया। यह दूसरी बार है जब इस धुन को बीटिंग रिट्रीट से हटाया गया है। भारतीय सेना की ओर से शनिवार को पूरे प्रोग्राम का ब्रोशर जारी किया गया। इसमें इस धुन का जिक्र नहीं है।
क्यों प्रसिद्ध है ‘अबाइड विद मी‘ भजन?
दुनियाभर में मशहूर ‘अबाइड विद मी’ भजन को स्कॉटिश कवि हेनरी फ्रांसिस लाइट ने 1847 में लिखा था। इसकी धुन वर्ल्ड वॉर 1 में बेहद लोकप्रिय हुई। बेल्जियम से फरार हुए ब्रिटिश सैनिकों की मदद करने वाली ब्रिटिश नर्स इडिथ कैवेल ने जर्मन सैनिकों के हाथों मरने से पहले इस गीत को गाया था।
भारत में इस धुन को प्रसिद्धि तब मिली, जब महात्मा गांधी ने इसे कई जगह बजवाया। उन्होंने इस धुन को सबसे पहले साबरमती आश्रम में सुना था। वहां मैसूर पैलेस बैंड इसे प्ले कर रहा था। इसके बाद से यह आश्रम की भजनावलि में ‘वैष्णव जन तो’, ‘रघुपति राघव राजाराम’ और ‘लीड काइंडली लाइट’ के साथ शामिल हो गया।
बीटिंग रिट्रीट में इस बार बजेंगी ये धुनें
समारोह की शुरुआत बिगुल पर फैनफेयर गीत के साथ होगी। इसके बाद मास बैंड वीर सैनिक गीत और पाइप्स एंड ड्रम्स बैंड 6 धुन बजाएंगे। केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के बैंड तीन धुन बजाएंगे। इसके बाद एयरफोर्स का बैंड 4 धुन प्ले करेगा। इसमें फ्लाइट लेफ्टिनेंट एल एस रूपाचंद्रन की तरफ से खास लड़ाकू धुन भी शामिल होगी।
इसके बाद नेवी का बैंड 4 धुनें बजाएगा। फिर आर्मी मिलिट्री बैंड- केरल, सिकी ए मोल और हिंद की सेना नाम से 3 धुनें बजाएगा। मास बैंड 3 और धुनें कदम-कदम बढ़ाए जा, ड्रमर्स कॉल और ऐ मेरे वतन के लोगों की प्रस्तुति देगा। समारोह का समापन ‘सारे जहां से अच्छा’ के साथ होगा। पूरे समारोह में 44 ब्यूगलर्स (बिगुल बजाने वाले), 16 ट्रंपेट प्लेयर्स और 75 ड्रमर्स शामिल होंगे।
क्या है बीटिंग रिट्रीट?
बीटिंग रिट्रीट सप्ताह भर चलने वाले गणतंत्र दिवस समारोह के समापन का प्रतीक है। इस दौरान राष्ट्रपति सेनाओं को अपनी बैरकों में लौटने की इजाजत देते हैं। इसी के साथ गणतंत्र दिवस समारोह का समापन हो जाता है। पहले ये 24 जनवरी से शुरू होता था, लेकिन इस साल से नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती यानी 23 जनवरी से इसकी शुरुआत होगी। इस बार सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती है।