नाबालिग के साथ किये गये रेप मामलें में आजीवन कारावास की सजा काट रहे पूर्व विधायक राजबल्लभ यादव की जमानत याचिका पर पटना हाई कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर अपना आदेश सुरक्षित कर लिया। जस्टिस अश्वनी कुमार सिंह तथा जस्टिस हरीश कुमार की खंडपीठ ने उनकी ओर से दायर जमानत अर्जी पर सुनवाई की।
पूर्व विधायक की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वकील संजीव सहगल ने बहस करते हुए कोर्ट को बताया कि रेप की घटना के कई दिन बाद प्राथमिकी दर्ज की गई।उनका कहना था कि एक साजिश के तहत विधायक को इस केस में अभियुक्त बनाया गया।
वही जमानत अर्जी का विरोध करते हुए स्पेशल पीपी श्यामेश्वर दयाल ने कोर्ट को बताया कि निचली अदालत ने सभी पहलू पर विचार कर अभियुक्त को दोषी करार दिया।उनका कहना था कि मेडिकल में रेप की पुष्टि हुई हैं।कई गवाह ने घटना के पक्ष में गवाही दी है।
कोर्ट ने सभी पक्षों की ओर से पेश दलील को सुनने के बाद अपना आदेश सुरक्षित कर लिया।
हत्या के जुर्म में आजीवन कारावास सजायाफ्ता पूर्व सांसद विजय कृष्ण की अपील पर पटना हाई कोर्ट ने सुनवाई कर अपना आदेश सुरक्षित कर लिया।न्यायमूर्ति एएम बदर तथा न्यायमूर्ति सुनील कुमार पंवार की खंडपीठ ने पूर्व सांसद विजय कृष्ण की ओर से दायर अपील पर सुनवाई कर अपना आदेश सुरक्षित कर लिया। 2009 में श्रीकृष्णापूरी थाना क्षेत्र में हुई हत्या के मामले में पटना सिविल कोर्ट ने वर्ष 2013 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।निचली अदालत के फैसला को हाई कोर्ट में आपराधिक अपील दायर कर चुनोती दी गई।कई दिनों तक चली बहस के बाद सोमवार को हाई कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित कर लिया।
पटना हाई कोर्ट ने मधेपुरा के डीएम को सम्बंधित रिकॉर्ड के साथ 18 मई को हाजिर होने का निर्देश दिया है।जस्टिस पी बी बजनथरी की एकल पीठ ने कंचन कुमारी उर्फ कंचन देवी की ओर से दायर रिट याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया।कोर्ट ने डीएम से जानना चाहा है कि किस अधिकारी ने निर्णय दिया कि आवेदिका का सर्टिफिकेट जाली है।क्या सर्टिफिकेट को जाली ठहराने के पूर्व आवेदिका को सुनवाई का अवसर प्रदान किया गया था?आंगनवाड़ी सेविका की नियुक्ति के लिए आवेदिका कंचन कुमारी उर्फ कंचन देवी ने आवेदन किया था।लेकिन उसके सर्टिफिकेट को जाली बताकर उसके आवेदन को स्वीकार नहीं किया गया।आवेदिका के वकील प्रमोद मिश्रा ने कोर्ट को बताया कि उसे सुनवाई का अवसर दिए बिना ही मनमाने तरीके से सर्टिफिकेट को जाली बताकर उसकी उम्मीदवारी को अमान्य कर दिया गया जो नैसर्गिक न्याय केहाई कोर्ट ने रेप और हत्या करने के आरोप में सासाराम की एक अदालत द्वारा दी गई फांसी की सजा को रद्द कर दिया है।कोर्ट ने मामले को निचली अदालत को भेजते हुए नए सिरे से चार्ज फ्रेमिंग के स्टेज से ट्रायल शुरु करने का आदेश दिया है।जस्टिस अश्वनी कुमार सिंह तथा जस्टिस हरीश कुमार की खंडपीठ ने डेथ रेफरेंस और फांसी की सजा के खिलाफ अभियुक्त बलराम सिंह की ओर से दायर क्रिमिनल अपील पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया।
अभियुक्त बलराम सिंह की ओर से वरीय अधिवक्ता कृष्णा प्रसाद सिंह ने कोर्ट को बताया कि निचली अदालत ने आनन फानन में तीन महीने में ही ट्रायल सम्पन्न कर फांसी की सजा सुना दी और सम्पुष्टि के लिए हाई कोर्ट को भेजा है।उन्होंने कहा कि ट्रायल में कई प्रकार की त्रुटि है इसलिए फांसी की सजा को सम्पुष्ट करना न्यायसंगत नहीं होगा।उन्होंने ट्रायल कोर्ट के फैसले को रद्द कर नए सिरे से ट्रायल कराने का अनुरोध किया जिसे हाई कोर्ट ने मान लिया।
अभियुक्त 39 वर्षीय बलराम सिंह पर एक 10 वर्षीय बच्ची के साथ बलात्कार कर उसकी हत्या करने का आरोप है।मृत बच्ची की दादी की शिकायत पर डालमिया नगर पुलिस ने रेप, हत्या करने के साथ ही पॉक्सो एक्ट के तहत 15 नवम्बर 2020 को मामला दर्ज किया था और उसी दिन अभियुक्त ने आत्मसमर्पण भी कर दिया।जांच कर पुलिस ने 30 नवम्बर 2020 को चार्जशीट दाखिल किया।8 दिसंबर 20 को चार्ज फ्रेम हुआ।11 जनवरी 2021को गवाही शुरु हुई और 26 मार्च को समाप्त हो गया।13 जुलाई को अंतिम सुनवाई हुई और 30 जुलाई को फैसला सुनाया गया।उसी फैसले की सम्पुष्ट करने के लिए निचली अदालत ने हाई कोर्ट को भेजा था जिसे बतौर डेथ रेफरेंस दर्ज किया गया था।