मुंगेर : आज से नवरात्रि की शुरू हो गई है, नवरात्रि के 9 दिन काफी खास माना जाता है। इन 9 दिनों में विभिन्न तरीकों से माता की पूजा अर्चना की जाती है। इसी कड़ी में आज हम मुंगेर जिले में स्थित चंडिका मैया मंदिर से जुड़ी रोचक कहानी बताने जा रहे हैं। चंडिका वाली मैय्या दरबार में श्रद्धालुओं की खास आस्था है, मान्यता है कि यहां की मंदिरों में जो भी इंसान अपनी मुरादें लेकर गया है, उसे कामयाबी जरूर मिली है। मान्यता है कि मां चंडिका स्थान मंदिर मुंगेर का दर्शन करने से आंखों की रोशनी वापस आती है।
यह जगह बिहार के मुंगेर जिले में 52 शक्तिपीठों में से एक मां चंडिका गंगा नदी किनारे है। मान्यता है कि यह मंदिर काफी चमत्कारी और शक्तिशाली है। माता सती के 52 टुकड़ों में से बायां आंख यहां गिरा था, आज भी सोने की कवज से जड़ा नेत्र यहां सुरक्षित मौजूद है। मां चंडिका स्थान के पुजारी गजेंद्र बाबा की मानें तो पौराणिक कथाओं में माता चंडिका के सबसे बड़े भक्त महाभारत काल के योद्धा दानवीर कर्ण थे। राजा दानवीर कर्ण उस ज़माने में हर रोज यहां आते थे।
मंदिर के पुजारी कहते हैं कि यहां वैसे रोगी आते हैं जिन्हें डॉक्टर ने जवाब दे दिया, आंख की रोशनी वापस आने की कोई उम्मीद नहीं बची। उन्हें मां को प्रणाम कराकर पुष्प दिया जाता है। इसके साथ ही नेत्र रोगी को गाय का घी और कपूर से आरती लगाकर बनाया हुआ का काजल दिया जाता है। इस काजल को सुबह शाम लगाने से सवा महीने में मरीज ठीक हो जाता है। मैया के चमत्कार से उसके आंख की रोशनी वापस आ जाती है।
नवरात्र के पहले दिन मैया के दरबार में भक्तों की लंबी भीड़ लगी है। भक्त यहां दूर दराज से पहुंचते नजर आ रहे हैं।