आपने अब तक देखा होगा कि चावल को पकाने के लिए गरम पानी की जरूरत होती है। किसी के घर में कूकर में डालकर सिटी लगवाते हैं तो कोई पहले पानी में डालकर रखते हैं। अब सामान्य पानी में डालने के बाद कुछ ही देर में भात बन जाएगा। कहने का मतलब यह है कि इस चावल को पकाने के लिए गरम पानी नहीं चाहिए। ना ही आग पर पकाने का झंझट। सामान्य पानी में ही इसे डाल दीजिए और भात तैयार हो जाएगा। बिहार के पश्चिम चम्पारण के मुसहरवा में कमलेश चौबे नाम के किसान मैजिक धान के लिए मशहूर हैं। 48 वर्षीय कमलेश चौबे इन दिनों धान और गेहूं की नई किस्मों की खेती को लेकर सुर्खियों में छाए हुए हैं।
12वीं तक पढ़े है कमलेश चौबे
कमलेश चौबे देशभर के किसानों के लिए एक मिसाल बन कर उभरे हैं। 12वीं तक पढ़ने के बाद उन्होंने अपनी पिता की जमीन संभालने लगे,जो 7 एकड़ के आस-पास है। वह पहले परंपरागत धान, गेहूं, दलहन आदि उगाते थे। जब जैविक खेती का ट्रेंड शुरू हुआ तब से उन्होंने भी इसे अपनाया। कमलेश चौबे ने किसान प्रतियोगिता और कार्यक्रमों में जाना शुरू किया। इस दौरान उन्होंने बहुत कुछ सीखने को मिला। ऐसे ही कार्यक्रम के दौरान उन्हें काले गेहूं के बारे में पता चला। इसी तरह पश्चिम बंगाल में उन्हें काले धान और मैजिक धान की किस्मों के बारे में पता चला। कमलेश चौबे ने इन चार सालों में किस्मों के बारे में विस्तार से जाना और उनकी खेती की। उन्हे इसका रिजल्ट भी अच्छा मिला।
सादे पानी में 50 मिनट में तैयार
बताया जा रहा है कि अब कमलेश चौबे एक एकड़ में मैजिक धान की भी खेती कर रहे हैं। चावल की यह किस्म असम में प्रचलित है, इस धान की खासियत है कि इसके चावल को किसी रसोई गैस या चूल्हे पर पकाने की जरूरत नहीं होती। यह चावल सादे पानी में 45-60 मिनट रखने के भीतर तैयार हो जाता है। और हां, खाने में भी नॉर्मल चावल जैसा ही लगता है। इस चावल में कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होती है।